दिन........ ! , का निर्माण समय के छोटे-छोटे खण्डों के मिलने से हुआ होगा , क्या ऐसा कह सकते हैं ? मैं ऐसा सोचता हुँ , कि "दिन" शब्द तो छोटा सा ही एक शब्द ही तो हैं , लेकिन इसके मायने सबो के लिए अलग-अलग हैं । दिन की शुरुआत वैसे तो सुरज के क्षितिज पर आ जाने के साथ ही हो जाती हैं, लेकिन कुछ लोग सुरज के जगने का इंतजार नहीं करते हैं , तो कुछ लोगों का सुरज के जगने और ना जगने कोई ज्यादा संबंध नहीं हैं । मै एक रेल कर्मचारी हुँ , शायद इसलिये ऐसा लिख पा रहा हुँ ।