Writer short story & poem. Write on miscellaneous topic. Blog Writter.
वास्तविक जीवन जीने की कला ।
लिंक पाएं
Facebook
X
Pinterest
ईमेल
दूसरे ऐप
"जीवन" शब्द अपने आप मे , तो मात्र तीन अक्षरो का ही शब्द हैं ।लेकिन जब इसकी विश्लता और गंभीरता के बारे मे थोड़ा भी विचार प्रारंभ किया जाये , तो संपूर्ण सृस्टि के निर्माण का बोध करा देता हैं ।
व्यक्ति के जीवन मे नैतिक होना और उसका पालन करना अच्छी बात हैं , लेकिन वह सीमा से अधिक होने पर खुद के अंदर गलानी का भाव उत्पन्न करता हैं , और मेरा मानना है इसे नैतिकता का पतन कहते है । ऐसा होना ही व्यक्ति को ओवर जंटिल कहा जाता हैं , जो कि मै नहीं हूँ और कभी जीवन मे बनना भी नहीं चाहता , इस बारे मे आप सब की क्या राय हैं , क्या आप इससे सहमत हैं, या कोई और मंतव्य रखते हैं , कृप्या साझा करे और मेरे ज्ञान मे बढोतरी करे ।
मै ईश्वर से यहीं प्रथाना करता रहता था ........ ईश्वर मुझको फेल ना करना । घी, से मुझको तेल ना करना ।। आस-पड़ोस सब, भला-बुरा कहेंगे । संगी साथी सब दुर रहेंगे ।। फिर से, वहीं क्लास.. वहीं बेच.. वही किताबें.. । फिर से पढना हैं , बही बात ।। ईश्वर मुझको फेल ना करना । घी, से मुझको तेल ना करना ।।
रक्षाबंधन का शाब्दिक अर्थ होता है , ऐसा बंधन जो रक्षा के लिये बाँधा जाता हैं । ये बंधन बहन के द्वारा अपने भाई की रक्षा के लिये कलाई पर बाँधा गया बंधन हैं ।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें