कहाँनियाँ
बचपन में कहाँनियों की बातें दादी - नानियों से सुनने को मिला करती थी । तब ना दुरदर्शन हुआ करता था ना रेडियो , तब कहाँनियाँ सुनते सुनते सबों के मन मे और आँखों के सामने कहाँनियों एक दृश्य उभर आता था।
सबो ने कहाँनियाँ जरूर पढी होगी और सुनी होगी ।
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