संदेश

घर चले जाओ ।

घर की याद आये , जाने का मन भी हो, पर घर जाना ना हो पाये और ऐसा लगे, अभी नहीं जाना है। घर की बहुत याद आये , जाने का मन बहुत भी हो, पर घर जाना ना हो पाये और ऐसा लगे, अभी नहीं जाना है। घर से कोई याद करें , घर आने को कोई बुलाये, पर घर जाना ना हो पाये और ऐसा लगे, अभी नहीं जाना है। घर से कोई बहुत याद करें , घर आने को कोई बहुत बुलाये, पर घर जाना ना हो पाये और ऐसा लगे, अभी नहीं जाना है। घर जाना ना हो पाये और ऐसा लगे, अभी नहीं जाना है। पर कोई दिल से याद करें , और घर की याद दिल से आने लगे। ........................................तब घर चले जाओ ।  घर पर तुम्हारे आने का , कोई इंतजार करे,  या ना करे।  तुम्हें उस घर मे जन्म देने वाले, और घर तुम्हारा इंतजार करता है । .........................................तब घर चले जाओ । तुम्हें ये सब ख्याल आने लगे । .........................................तब घर चले जाओ ।  और कोई त्योहार आये । ........................................अब, घर चले भी जाओ ।

रक्षाबंधन की बधाईयाँ

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                                  रक्षाबंधन का शाब्दिक अर्थ होता है , ऐसा बंधन जो रक्षा के लिये बाँधा जाता हैं ।                                 ये बंधन बहन के द्वारा अपने भाई की रक्षा के लिये कलाई पर बाँधा गया बंधन हैं ।

नैतिकता का पतन ।

व्यक्ति के जीवन मे नैतिक होना और उसका पालन करना अच्छी बात हैं , लेकिन वह सीमा से अधिक होने पर खुद के अंदर गलानी का भाव उत्पन्न करता हैं , और मेरा मानना है इसे नैतिकता का पतन कहते है ।           ऐसा होना ही  व्यक्ति को ओवर जंटिल कहा जाता हैं , जो कि मै नहीं हूँ और कभी जीवन मे बनना भी नहीं चाहता , इस बारे मे आप सब की क्या राय हैं , क्या आप इससे सहमत हैं, या कोई और मंतव्य रखते हैं , कृप्या साझा करे और मेरे ज्ञान मे बढोतरी करे ।

परीक्षा मे अनुत्तीर्ण

मै ईश्वर से यहीं प्रथाना करता रहता था ........ ईश्वर मुझको फेल ना करना । घी, से मुझको तेल ना करना ।। आस-पड़ोस सब, भला-बुरा कहेंगे । संगी साथी सब दुर रहेंगे ।। फिर से,  वहीं क्लास.. वहीं बेच.. वही किताबें.. । फिर से पढना हैं , बही बात ।। ईश्वर मुझको फेल ना करना । घी, से मुझको तेल ना करना ।।

रिक्शावाला

तीन पहिये और तीन सौ मुसीबतों का नाम हैं ..........रिक्शावाला !

कोई हैं ...

GM (GATE MAN) से GM (GENERAL MANAGER) तक

मै जब अपने सकूल के दिनों मे पढाई कर रहा था , तब मेरे पिताजी मुझ से अक्सर, राजकुमार निर्देशित फिल्म "मेरा नाम जोकर" मै कही एक संवाद को अक्सर दुहराते थे ........... राजू निचले दर्जे से शुरू करोगे , तो एक दिन अव्वल दर्जे तक पहुँचोगे ।                          जब मुझे रेलवे की नौकरी मिली , तो रेलवे की नौकरी मे आने के बाद मुझे पता चला की रेलवे मे अपार संभावना हैं । इसमे गेटमैन के रूप मे कार्यरत कर्मचारी भी जेनरल मैनेंजर बन सकता हैं।                          आज ये ब्लॉग लिखते समय , उनकी कही गई बातों वे बात फिर याद आ गई कि................ राजू निचले दर्जे से शुरू करोगे , तो एक दिन अव्वल दर्जे तक पहुँचोगे ।

हिंदी दिवस की शुभकामनाएँ ।

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हिंदी दिवस हर वर्ष मनाया जाता हैं । या यूँ कहे दो बार , अगर मै गलत नही हूँ , तो ....... पहली बार कहने को तो पुरे विश्व पटल पर हिंदी दिवस मनाया जाता हैं , "विश्व हिंदी दिवस "के नाम से १०( दस) जनवरी को । और फिर उसी वर्ष दुबारा १४ (चौदह) सितम्बर को । उपरोक्त चित्र मे लिखें गये , हिंदी शब्द जो कि अग्रेजी मे अंकित हैं । उसका क्या मायने हैं । इसलिए मैने इसके आगे , दिवस नहीं लगाया । इसे जैसा का तैसा छोड़ देना ही उचित समझा ।

दिन की शुरुआत ।

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दिन........ ! , का निर्माण समय के छोटे-छोटे खण्डों के मिलने से हुआ होगा , क्या ऐसा कह सकते हैं ?                              मैं ऐसा सोचता हुँ , कि "दिन" शब्द तो छोटा सा ही एक शब्द ही तो हैं , लेकिन इसके मायने सबो के लिए अलग-अलग हैं ।                        दिन की शुरुआत वैसे तो सुरज के क्षितिज पर आ जाने के साथ ही हो जाती हैं, लेकिन कुछ लोग  सुरज के जगने का इंतजार नहीं करते हैं , तो कुछ लोगों का सुरज के जगने और ना जगने कोई ज्यादा संबंध नहीं हैं ।                         मै एक रेल कर्मचारी हुँ , शायद इसलिये ऐसा लिख पा रहा हुँ ।                          

सुबह की धूप ।

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सुबह-सुबह का समय , सभी सो कर उठते हैं । वहीं कुछ लोग अपने काम से वापिस घर को आते हैं, और नींद के आलस्य मे सो जाते है । जब वे नींद से जगते हैं , तो उनके लिए सुबह हो गई होती हैं और उनके साथ ही साथ दिन की शुरूआत, और बाकी सभी उन्हीं लोगों की तरह , जैसे सुरज के जगने के साथ जिनकी सुबह की शुरुआत होती हैं । तभी शायद लोगों से मैंने सुना है, "जब जागो तभी सवेरा ।" 

वास्तविक जीवन जीने की कला ।

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"जीवन" शब्द अपने आप मे , तो मात्र तीन अक्षरो का ही शब्द हैं ।लेकिन जब इसकी विश्लता और गंभीरता के बारे मे थोड़ा भी विचार प्रारंभ किया जाये , तो संपूर्ण सृस्टि के निर्माण  का बोध करा देता हैं ।

कहाँनियाँ

                         बचपन में कहाँनियों की बातें दादी - नानियों से सुनने को मिला करती थी । तब ना दुरदर्शन हुआ करता था ना रेडियो , तब कहाँनियाँ सुनते सुनते सबों के मन मे और आँखों के सामने कहाँनियों एक दृश्य उभर आता था।                         सबो ने कहाँनियाँ जरूर पढी होगी और सुनी होगी ।            

एक

एक , शब्द हैं या अंक ।                              जब कभी भी एक की बात होती हैं , तो अकेला का अर्थ भी एक से ही लगाया जाता हैं। और , एक को दो बार बारंबारता मे रखा जाता हैं तो वह ग्यारह का रूप ले लेता हैं ।                             ये तो अंक की बात हैं , शब्दों मे  कहा जाये, तो यह दो अक्षरों के मेल से बना हैं ।                              ए = ए + क ।                   

सूर्योदय हैं

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इस तस्वीर को ध्यान से देखकर बताईये ।  सुबह हो गई हैं, क्या ?  वास्तव मे, यह तस्वीर 02 सितम्बर 2023 को लगभग 17बजकर 55 मिनट पर  बिहार राज्य के छपरा जिला के रेलवे स्टेशन, छपरा ग्रामीण के पास सूयोस्त के समय का हैं , यानी भारतीय समायनुसार संध्या 5 बजकर 55 मिनट । आपलोगों मे से कितनो को पहले से पता हैं । बिहार राज्य , छपरा जिला या फिर रेलवे स्टेशन छपरा-ग्रामीण के    बारे मे । मुझे ऐसा लगता हैं , कि इस तस्वीर को देखने के बाद आप फिर भी यही कहेंगे , सूयोर्दय हैं क्या ?